Skip to product information
1 of 1

Parikhana

Parikhana

Regular price $27.99 USD
Regular price Sale price $27.99 USD
Sale Sold out
SPECIFICATION:
  • Publisher :Rajpal and Sons
  • By: Nawab Wajid Ali Shah (Author)
  • Binding : Paperback
  • Language: Hindi
  • Edition :2017
  • Pages: 176 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10:9350643901
  • ISBN-13: 9789350643907

DESCRIPTION: 

परीख़ाना जहाँ एक तरफ़ नवाब वाजिद अली शाह की रंगीन जि़न्दगी की खुली दास्तान है वहीं दूसरी तरफ़ यह उन्नीसवीं सदी की लखनवी संस्कृति का कीमती दस्तावेज़ है। नवाब वाजिद अली शाह (30 जुलाई 1822-21 सितम्बर 1887) अवध के दसवें और आखिरी नवाब थे जिन्होंने नौ वर्षों तक अवध पर शासन किया। साहित्य और संस्कृति से बेहद लगाव रखने वाले वे एक कुशल शासक और संवेदनशील राजा थे जिन्हें प्रेम-मोहब्बत में सराबोर रहना पसन्द था। वह कत्थक के कुशल नर्तक और शास्त्रीय संगीत के सच्चे साधक थे जिन्होंने कई नये राग भी ईजाद किये। शास्त्रीय गायन की विधा, ‘ठुमरी’ को लोकप्रिय करने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। लिखने-पढ़ने का भी नवाब वाजिद अली शाह को बहुत शौक था और उन्होंने 60 से अधिक पुस्तकों की रचना की। नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल में लखनऊ उत्तर भारत का सांस्कृतिक केन्द्र बन गया था जहाँ पर हर कलाकार को अपनी कला दर्शाने का अवसर प्राप्त होता था। लखनऊ में उन्होंने ‘परीख़ाना’ नाम का एक रंगारंग महल कायम किया जहाँ सैकड़ों लड़कियों को राजसी खर्च पर नृत्य और संगीत की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ से निकली लड़कियों को ‘परी’ कहा जाता था जैसे सुलतान परी, माहरुख परी। इनमें से बहुतों के साथ नवाब वाजिद अली शाह ने ब्याह भी रचाया और उन्हीं सब परियों के रिश्तों का बेबाक बयान है इस किताब में। ‘परीख़ाना’ नाम की इमारत आज भी लखनऊ में स्थित है और इसमें संगीत विद्यालय चलाया जा रहा है।

                          View full details

                          ★★★★★
                          ★★★★★
                          ★★★★★
                          ★★★★★